Madhu varma

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लेखनी कविता - मैं अनंत पथ में लिखती जो -महादेवी वर्मा

मैं अनंत पथ में लिखती जो -महादेवी वर्मा 


मै अनंत पथ में लिखती जो
 सस्मित सपनों की बाते
 उनको कभी न धो पायेंगी
 अपने आँसू से रातें!

उड़् उड़ कर जो धूल करेगी
 मेघों का नभ में अभिषेक
 अमिट रहेगी उसके अंचल-
में मेरी पीड़ा की रेख!

तारों में प्रतिबिम्बित हो
 मुस्कायेंगी अनंत आँखें,
हो कर सीमाहीन, शून्य में
 मँडरायेगी अभिलाषें!

वीणा होगी मूक बजाने-
वाला होगा अंतर्धान,
विस्मृति के चरणों पर आ कर
 लौटेंगे सौ सौ निर्वाण!

जब असीम से हो जायेगा
 मेरी लघु सीमा का मेल,
देखोगे तुम देव! अमरता
 खेलेगी मिटने का खेल! 


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